मनोकामना पूर्ण करने हेतु वन्दना
उज्जवल कर दो हे बाबा नत्थन इस निर्बल की गरीमा को| को नहीं जानत है जग मे, बाबा आज तुम्हारी महिमा को|
जिन पर दया हो तेरी बाबा, ऋद्धि सिद्धी मिल जाती है| निर्धन को भी लक्ष्मी आकर , हंस कर गले लगाती है|
तर जाए जो गाए प्रभु जी , तेरे नाम की महिमा को| उज्जवल कर दो हे बाबा नत्थन इस निर्बल की गरीमा को|
उसकी बाधा दूर करो, जो भी शरण मे आता है| शुभ दृष्टि से जिसे निहारे, मंजिल तक पहुंचाता है|
मेरे मन से दूर करे, अब दु:ख के सारे सदमा को| उज्जवल कर दो हे बाबा नत्थन इस निर्बल की गरीमा को|
दु:ख के जखीरा को कह दो, हम को नही बुलाएगा | कह दो बाधाओं से, मेरे सीने न टकराएगा |
रोक लो अपनी ताकत से, इन बाधा रुपी सूरमो को| उज्जवल कर दो हे बाबा नत्थन इस निर्बल की गरीमा को|
सकल मनोरथ पूरा कर दो, यही कामना मेरी है| मंजिल तक पहुंचाओ मुझको, दूर करो मजबूरी है|
चरणो मे तुफान पडा है कर दो पूरा सपनो को| उज्जवल कर दो हे बाबा नत्थन इस निर्बल की गरीमा को|
भजन – बाबा की जन्म भूमि ( सूरज भान)
पद भाओ भूमि कोथ ग्राम, सब दिनो मे श्रेष्ठ दिन अमावस शुभ धाम|
सामगी सब पूजा की साथ मे लाते है, मिष्टान मिश्री का भोग लगा सब सेवक हर्षाते है|
होती कृपा विशेष है , प्रेम से जो ले नाम तेरा, है जरूरी स्नान कर , काया कपडो को साफ कर,
श्री बाबा जी के मन्दिर मे आओ, कुटम जन को भी साथ लाकर, प्रेम से बाबा की जय बोलो, मीठी वाणी से किर्तन कर|
आरती कर बाबा नत्थन की मन ही मन मुस्कराकर, जोत स्थापना से पहले बाबा को तिलक चावल लगाओ|
फिर जोत बती लगा कर लेओ बाबा का नाम, लेकर बाबा का आशिर्वाद, घंटा घडियाल बजाओ|
सूरज कहे सब भगतो को प्रशाद यहीं बांट कर जाओ, फिर श्रृद्धा से करो दान प्रेम से बाबा की जय बोलो||
आरती बाबा नत्थन मल की:
ऊँ जै –जै बाबा नत्थन, सबके कष्ट हरे बाबा, दूर करते सब की अडचन, ऊँ जै –जै बाबा नत्थन,
कौथ ग्राम मे जन्मे बाबा, धरनी माता के जाये, ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
लालमण परिवार के कुल देवता बाबा, बख्ता मल के नंदन | ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
धन्य हो जीवन तुम्हारा, बचपन मे ही स्वर्ग सिधारा ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
ऋद्धि सिद्धी के दाता बाबा, तोड दिए सारे बन्धन, ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
तेरे दर पे जो आता बाबा- कभी कष्ट नही पाता, ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
पारस बन के हम लोहे को भी कर दिया कुन्दन| ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
सब भगतो के प्यारे बाबा सबकी आँखो के तारे ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
श्रृद्धा से सब पुकारे बाबा, करते सब वन्दन, ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
मिष्टान भोग लगाते दिपक जोत जलाते, ऊँ जै –जै बाबा नत्थन|
धूप बती लागा सूरज करता हाथ जोड वन्दन, ऊँ जै –जै बाबा नत्थन||
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