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विशेष विवरण

विशेष विवरण:

प्राचीन समय मे कोथ, कापडो आदि गांव जीन्द रियासत मे लगते थे. सन् 1805 मे अंग्रेजो ने महाराजा जीन्द से एक सन्धि कर के एक फौज की टुकडी रख दी. सन् 1862 के आस पास की बात है बदावड गोत्र का जाट राजा जीन्द- अंग्रेज फौज का खर्च नही दे पाया. सन् 1872 मे राजा जीन्द ने धन की व्यवस्था के लिये राज्य के सभी महाजनो को बुला कर बन्दी बना लिया, तथा धन की व्यवस्था करने को कहा. आकाल के हालात होने के कारण सब ऐसा करने मे स्वयं को असमर्थ पा रहे थे. यह घटना रियासत जीन्द के रिकार्ड मे दर्ज है तथा डोम लोग  इसे बार- बार गाते रहे है, यह घटना बहत्तरी बिन्द के नाम से सारे इलाके मे जानी जाती थी. बाबा गोकल चन्द ने राजा से जा कर अनुरोध किया मै आप का सारा खर्च एक बार का वहन कर सकता हूँ. आप इन सब को छोड दे. राजा ने सेठ गोकल चन्द की बात मान ली और सब को छोड दिया, तथा इसके बदले मे यह रियायत दी कि तेरे परिवार का एक बडा पुत्र मेरा दरबारी रहेगा, और मै उसके  झुगले टोपी भेजूंगा, तेरा परिवार शाही बाने के साथ किले से गुजर सकेगा. यह परम्परा सन् 1947 तक रही.  चौधरी सरूप सिंह राज दरबारी रहे, उन्होने ने ही उचाना मण्डी बनवाई. उनके पुत्र बारू मल के झुगले टोपी आदि आये थे. यह बात पूरे लालमण परिवार के लिये ऐतिहासिक है.

भाई मास्टर ज्ञानी राम जी )