- प्रथम वाक्य
- इतिहास खानदान बाबा लालमण जी
- इतिहास गाँव कोथ कलां जिला हिसार का
- जय बाबा नत्थनमल जी सदा सहाय
- विशेष विवरण
- उल्लेखनीय श्रावक
- पपीते मे प्रकट भगवान गणेश जी
| जय बाबा नत्थनमल जी सदा सहाय |
बाबा लालमण जी के परिवार मे बाबा नत्थन मल जी देवता का जन्म बाबा बख्ता मल जी व दादी धरणी देवी जी के घर मे कार्तिक बदी 13 ( धन तेरस), सवत् 1858 ग्राम कोथ कला जिला हिसार मे हुआ| बाबा 9-10 साल की उम्र मे अपने पिता बख्ता मल जी के साथ खेत घूमने चले गये वहाँ एक किकर के पेड के नीचे ही कपडे बिछा कर सो गये| पिता जी ने खेत से आकर जगाया| जब कपडे उठा कर देखा तो बाबा मृत पाए गये| लोग एकत्र हो गये तो उन्ही लोगो मे से किसी को आवाज सुनाई दी कि इसको तो सारा परिवार बाबा मान कर पूजा करेगा| तब उसी स्थान पर बाबा का अन्तिम संस्कार कर दिया गया | तथा वहां कुछ ईंट आदि रख कर पुजने के लिये जगह बना दी गई| बाद मे समय आने पर बाबा रेडचन्द हांसी वाले ने पूजा योग्य मंड बनवा दिया| इसकी भी बडी रोचक कहानी बताते है| बाबा रेढ चन्द जी हांसी नगर पालिका के चुनाव मे खडे हो गये, किन्तू चुनाव नजदीक आते देख प्रचार अच्छा न देख चिन्ता मे डूब गये. रात मे स्वप्न मे बाबा नत्थन जी आये और कहा कि तू कोथ गांव मे जा कर मेरे स्थान पर मेरा मण्ड बनवा दे. तेरी जीत होगी. बाबा रेढ चन्द कोथ कलां आये और गाँव मे भाईयों को एकत्र किया तथा रु.500.00 दे गये. तब गाँव मे भाईयो ने बाबा का प्राचीन मण्ड बनवा दिया. बाबा रेढ चन्द जी का अपने पोते उदमी राम से बहुत लगाव था. उदमी राम का परिवार हर अमावस्या पर बाबा की सेवा मे लगा रहा. बाबा उदमी राम के सपुत्र लाला श्योचन्द राय ने मण्ड का विस्तार किया. वर्तमान सेवादार भाई लक्ष्मी नारायण लाला श्योचन्द जी के साथ बाबा की सेवा मे लगे रहे. लाला श्योचन्द जी अपने देहान्त से पहले बार बार मास्टर ज्ञानी राम जी सपुत्र लाला शिखर चन्द को प्रेरणा देते रहे कि बेटा बाबा की सेवा करना, तेरा बहुत मान सम्मान, धन दौलत होगी. सरकारी नौकरी मे होने के कारण वे शुरू मे कुछ समय न दे पाये.एक दिन भाई लक्ष्मी नारायण हांसी आये और मास्टर ज्ञानी राम जी को मण्ड की दुर्दशा का विवरण बताया और चल कर देखने का अनुरोध किया. मास्टर ज्ञानी राम जी गाँव कोथ आये और मण्ड की सेवा मे लग गये. सभी भाईयो ने उन्हे बहुत मान दान दिया. लगभग 600 बोरी सिमेण्ट व 50000 ईंटो से भवन का विस्तार करवाया गया.