- प्रथम वाक्य
- इतिहास खानदान बाबा लालमण जी
- इतिहास गाँव कोथ कलां जिला हिसार का
- जय बाबा नत्थनमल जी सदा सहाय
- विशेष विवरण
- उल्लेखनीय श्रावक
- पपीते मे प्रकट भगवान गणेश जी
प्रथम वाक्य
लालमन परिवार के सभी भाईयों को देवराज का सादर नमस्कार.
आपको यह जान कर हर्ष होगा कि बाबा नत्थन की असीम कृपा से लालमन परिवार कि वेबसाईट तैयार हो कर आपके समक्ष प्रस्तुत है. लालमन परिवार की जानकारी प्राप्त करने के लिये हमारे पुर्वजो ने कठिन मेहनत की. जिस कारण आज हम अपने परिवार की एतिहासिक जानकरी प्राप्त कर सके अत: उन सब के इस योगदान के प्रति हम हमेशा कृतज्ञता प्रकट करते रहेंगे. क्योकि यदि उन्होने इतनी मेहनत नही की होती तो हमे यह सब जानकारी प्राप्त नही हो सकती थी और हम अपने खानदान जिसकी आज लगभग 700 से ज्यादा पारिवारिक इकाईंयाँ न केवल भारत के कोने कोने मे वरन् विश्व के भी अनेक देशो मे फैली हुई है और लालमण वंश तथा कोथ कलाँ गावं का नाम रोशन कर रही है के उज्जवल इतिहास की जानकारी से वंचित रह जाते.
मेरे ज्ञान के अनुसार जिन पूर्वजो ने इस कार्य मे सर्वाधिक मेहनत की उनमे लाला श्योचन्द सपुत्र उधमी राम कापडो वाले (वर्तमान मे परिवार पानीपत), मास्टर ज्ञानी राम सपुत्र शिखरचन्द कापडो वाले (वर्तमान दिल्ली मे), बाबा के परम भगत भाई लक्ष्मी नारायण सपुत्र श्योनन्द (वर्तमान मन्दिर मे) तथा मेरे पूज्य पिता जी सूरजभान सपूत्र जीतु राम जी प्रमुख है इनके अतिरिक्त मास्टर रत्न लाल सपुत्र मेहताब राय (वर्तमान हांसी मे) तथा अन्य अनेक पूर्वजो ने अपने ज्ञान का उपयोग किया. यहां पर हमे गा।व कोथकला के पटवारी, हरिद्वार के पण्डे आदि का योगदान भी स्मरण करने की आवश्यकता है जिनके बिना यह इतिहास ज्ञात करना असम्भव होता. इन सब के सहयोग से मेरे पूज्य पिता सूरजभान जी हमे समय समय पर परिवार के इतिहास के बारे मे बताते रहते थे तथा उन्होने यह सारा इतिहास उर्दू मे लिपिबद्द किया हुआ था तथा यह उनकी महति इच्छा थी कि यह इतिहास पुस्तक के रुप मे भविष्य के लिये सुरक्षित रखना चाहिये ताकि हमारे परिवार की आने वाली पीढियों को जानकारी प्राप्त होती रह सके. उनकी इस इच्छा को ध्यान मे रख कर मैने उनके द्वारा लिखित जानकारी का हिन्दी अनुवाद करवाने का कार्य किया जिसमे मुझे काफी परिश्रम करना पडा क्योंकि एक तो हस्तलिखित का दूसरे के द्वारा पठन करना आसान नही होता, दूसरे अनुवादको से पत्ता चला कि उनकी लिखाई पुरानी उर्दू है जिसका वर्तमान मे प्रचलन कम हो गया है अत: मुस्लिम समाज के अध्यापको ने यद्दपि मुझे सहयोग दिया परन्तु इस काम मे मुझे सब से ज्यादा सहयोग मोगा जिले के एक बुजुर्ग, नकोदर निवासी कशमिरी लाल चौपडा जी तथा पूंछ ( जम्मू काश्मीर) के एक कर्मचारी जिसे मै किसी कार्य से मिला था ने किया . अत: हम सब इन सब महानुभावो के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते है.
यद्दपि इस अनुवाद मे काफी त्रुटि थी फिर भी आगे बढने के लिये मार्गदर्शन का काम कर सकता था. जिस पर मैने भाई लक्ष्मी नारायण से इस पर बात की उन्होने सुझाव दिया कि पत्र व्यवहार के माध्यम से जानकरी प्राप्त करने मे काफी कठिनाई आयेगी क्योंकि प्रत्येक भाई इस पर अपना समय ले सकता है. अत: सबसे आसान काम जंहा – जहां अपने खानदान के ज्यादा परिवार रहते है जैसे जीन्द, उचाना, हांसी, हिसार, उकलाना, दिल्ली गंगानगर तथा अन्य प्रदेश जैसे छतीसगढ, उडीसा आदि मे निजि सम्पर्क करना होगा. उन का यह सुझाव मेरे लिये राजकीय सेवा मे होने तथा बच्चे भी छोटे होने के कारण काफी कठिन था फिर भी परिवार के लिये कुछ करने की इच्छा शक्ति तथा पूज्य पिता जी की इच्छा को पूरा करने की चाहत ने मुझ मे वह उत्साह भर दिया जिस कारण मै समय समय पर अपने व्यस्त समय मे से कार्यालय से अवकाश लेकर भाई लक्ष्मी नारायण जी के साथ उक्त सभी स्थानो पर गया तथा परिवार कि जानकारी प्राप्त की. इस काम मे स्थान स्थान पर जिन भाईयो ने हमारा विशेष सहयोग किया उनमे हांसी से मास्टर रत्न लाल जी व लक्ष्मण दास जी , हिसार से मास्टर नन्द लाल जी, उकलाना मे रामभगत जी , गंगानगर मे राजेश कुमार जी, उत्तरप्रदेश के डाला मे राज कुमार जी, छतीसगढ सूरजपुर मे कपूर चन्द जी के परिवार, भिलाई मे मनोहर लाल जी, रायपुर मे गौरी शंकर जी, काटा बांजी मे मौजी राम जी के परिवार के महेन्द्र ( बब्लू) जी, बंगुमुण्डा मे विनोद कुमार जी, टीटलागढ मे सत नारायण जी, केसिंगा मे वेद प्रकाश उर्फ पवन कुमार जी तथा जीत मल जी के परिवार, मनीगुडा मे राजेश कुमार जी तथा रायगडा मे मांगी लाल जी व अशोक कुमार जी तथा सिमडेगा झारखण्ड से प्रेमचन्द जी ने हमारा जो तन मन धन से सहयोग किया उसके लिये मन्दिर कमेटी की और से कोटिश: ध्न्यवाद.
यहां यह उल्लेख करना भी जरुरी है कि हमारे उडीसा प्रवास के समय कांटाबांजी मे हमे उडीसा के भाईयों द्वारा अपने पूर्वजो से जुडे रहने की चाहत मे बाबा नत्थन जी का भव्य मंड, माता भनभौरी जी का मन्दिर तथा बाबा नत्थन के परम अराध्य देवता हनुमान जी का भव्य मन्दिर बनाया हुआ है को देखने का शौभाग्य प्राप्त हुआ. एक अन्य दिव्य घटना जो हमे गावं बंगुमुण्डा मे देखने को मिली का उल्लेख करना भी जरुरी समझता हूं वह इस प्रकार है: पपीते मे गणेश भगवान जी: आज दिनांक 11.01.2011 सुबह लगभग 11.00 बजे उदय बरिहा निवासी सारस पारा के घर मे जब उनके पेड पर लगा पपीता तोड कर खाने के लिये उनकी पत्नी उर्मिला बरिहा काटने लगी तो उस पपीते के अन्दर स्वंभू साक्षात भगवान गणेश प्रकट हुये. जिनकी फोटो ( संलग्न ) देख कर सभी आश्चर्य चकित हो गये.सारस पारा गांव बंगुमुण्डा से 3-4 किलो मीटर की दूरी पर जिला बोलांगीर, उडीसा मे है. यह भगवान गणेश वहां से गांव बंगुमुण्डा मे लाला गणेश प्रशाद जी जैन (लालमण परिवार ) के घर पर आम जनता के दर्शनो क लिये सानो प्रधानी जी ले कर आये. जनता के दर्शनो की व्यवस्था विजय कुमार अग्रवाल जी ने की.
इन सब प्रयासो से आज हमारे पास लगभग 525 परिवारो का वास्तविक डाटा है तथा हमे यह पता है कि लगभग 125-150 परिवारि का डाटा और हमे चाहिये, जिसके लिये प्रयास जारी है तथा प्रसन्नता की बात है कि अब इस का प्रचार लगभग पूरे परिवार मे हो गया है, अत: हमे आशा ही नही पुर्ण विश्वास है कि बकाया डाटा भी यथा शिघ्र हमे प्राप्त हो जायेगा जिससे हम हमारे बुजुर्गो की इच्छा की पूर्ती कर सकेंगे. इसी कडी मे यह तय किया गया कि आधुनिक युग मे क्योंकि अधिकांश युवा पीढी कम्प्यूटर को जानती है अत: सबसे पहले हमने वैबसाईट तैयार करने का निर्णय लिया. इसका एक लाभ यह होगा कि हम अपना डाटा बिना अतिरक्त लागत के अपडेट कर सकेंगे, दूसरे बकाया जानकारी ज्यादा जल्दी हमे प्राप्त हो सकेगी, ताकि हम परिवार की पूर्ण जानकारी सहित पूस्तिका का प्रकाशन करवा सके, क्योंकि पुस्तिका के प्रकाशन मे लगभग 3.00 लाख रुपे की लागत आयेगी, जिसका प्रबन्ध हम सब को मिल कर करना होगा तथा बाबा नत्थन हम मे वह शक्ति अतिशिघ्र देंगे ऐसा मेरा विश्वास है.
हमारे पूर्वजो के स्थान गाम कोथ कलां जिला हिसार हरियाणा जंहा पर बाबा नत्थन का भव्य मन्दिर बना है, कि प्रब्नधन कमेटी ने गांव व आस पास की जनता की सेवा के लिये एक डिसपैंसरी चला रखी है, जिस पर हर महिने लगभग 50,000.00 रूपये का खर्च होता है, गांव मे जंहा पर हमारे पूर्वज रहते थे वंहा जिनकी जमीन थी उन सब ने मिल कर जमीन मन्दिर कमेटी को लडकियों का स्कूल चलाने के लिये दान मे दे दी है, तथा हम सब को मिल कर स्कूल भवन निर्माण करवाना है तथा उसे लगातार चलाना भी है ताकि आस पास की जनता हमारे परिवार की सेवा भावना के साथ स्वयं को जुडा हुआ महसूस कर सके. अंत मे सबको आज से ही संकल्प लेना है कि अपनी नेक कमाई मे से कुछ राशि अपनी पारिवारिक आवश्यकता की व्यव्स्था को बनाये रखते हुये जितना संभव हो उतनी धन राशि निकाल कर बाबा नत्थन की और से निर्धारित इन सेवा कार्यो मे लगानी है.
अत: आओ हम सब मिल कर अपने पूर्वजो की भूमि जिस पर उन्होने (बाबा लालमन जी ने) कदम ही सेवा भाव से रखा था पर समाज सेवा के कार्यो को साकार रूप देकर उन्हे सच्ची श्रद्धांजली दे.
![]() | "आपका भाई" म.न. 577, सेक्टर-11, पंचकुला 09417040809, 09023165959 |